क्षेत्र के आधार पर बाजार को चार भागों में बाँटा जाता है -
1. स्थानीय बाजार – जब वस्तु के क्रेता व विक्रेता किसी गाँव, शहर, बस्ती तक सीमित होते हैं तो उस बाजार को स्थानीय बाजार कहते हैं। शीघ्र नाशवान वस्तुओं का बाजार स्थानीय ही होता है।
2. प्रादेशिक बाजार – जब किसी वस्तु का बाजार किसी प्रान्त की सीमाओं तक ही सीमित होता है तो उसे प्रादेशिक बाजार कहते हैं।
जैसे – राजस्थान की चुनरी, कोल्हापुर की चप्पलें आदि।
3. राष्ट्रीय बाजार – जब किसी वस्तु का बाजार पूरे देश में फैला होता है तो उसे राष्ट्रीय बाजार कहते हैं।
जैसे – कपड़े, का बाजार, लोहे का बाजार आदि।
4. अन्तर्राष्ट्रीय बाजार – जब किसी वस्तु का बाजार विभिन्न देशों के बीच फैला होता है तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार कहते हैं।
जैसे – कारों का बाजार, इन्जीनियरिंग मशीनों का बाजार आदि।