व्यापारिक बैंकों की साख सृजन की निम्न सीमाएँ होती हैं –
1. केन्द्रीय बैंक की नीति – साख सृजन केन्द्रीय बैंक की मौद्रिक नीति पर निर्भर करता है। सरल मौद्रिक नीति साख सृजन को प्रोत्साहित करती है।
2. बैंकिंग आदत – साख सृजन बैंकिंग आदत से भी सीधा सम्बन्धित है। जहाँ बैंकिंग सेवाओं का ज्यादा प्रयोग किया जाता है वहाँ साख सृजन ज्यादा होता है। इसके विपरीत कम साख का निर्माण होता है।
3. बैंकिंग विकास – जहाँ बैंकिंग सुविधाएँ ज्यादा विकसित होती हैं वहाँ साख सृजन ज्यादा तथा कम विकसित होने पर कम होता है।
4. व्यावसायिक एवं औद्योगिक विकास – औद्योगिक एवं व्यापारिक विकास का स्तर जिन देशों में ऊँचा होता है वहाँ साख सृजन ज्यादा होता है। इसके विपरीत जहाँ औद्योगिक एवं व्यापारिक विकास कम होता है वहाँ साख सृजन भी कम होता है।