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कम्प्यूटरीकृत लेखांकन पद्धति की मूल संरचना को विस्तार से समझाइए।

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कम्प्यूटरीकृत लेखांकन पद्धति की मूल संरचना-

कम्प्यूटरीकृत लेखा पद्धति प्रमुख रूप से एक संगठित प्रणाली है जिसके माध्यम से लेखा निर्णय लिये जाते हैं। इस प्रणाली के अन्तर्गत सर्वप्रथम लेखा से सम्बन्धित विभिन्न डेटा को एकत्र किया जाता है।

एक सुदृढ़ कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली की संरचना को निम्न बिन्दुओं से समझा जा सकता है–

1. लेखांकन आँचा (Accounting Framework) – यह कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली को लागू करने के लिए वातावरण तैयार करती है। यह लेखांकन की आधारभूत संरचना को तैयार करती है। इसमें लेखांकन के सिद्धान्तों, प्रक्रियाओं, डेटा बेस, डेटा एवं खातों का वर्गीकरण आदि के मिश्रण को तैयार किया जाता है। डेटा इनपुट की प्रक्रिया, डेटा की प्रोसेसिंग, यूजर के अनुसार परिणाम, प्रतिवेदनों के प्रारूप आदि को निश्चित किया जाता है।

2. संचालन प्रक्रिया (Operating Procedure) – एक अच्छी तरह से परिकल्पना की गई संचालन प्रक्रिया एवं उसके साथ एक उपयुक्त लेखांकन के संचालन का वातावरण कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के लिए अति आवश्यक है। एक कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली कम्प्यूटरीकृत लेखांकन का डेटाबेस उन्मुख अनुप्रयोगों में से एक है। लेन-देन से सम्बन्धित डेटा संग्रहित किया जाता है। उपयोगकर्ता आवश्यक इंटरफेस का उपयोग कर डेटाबेस से लेखांकन सम्बन्धित सूचनाओं एवं प्रतिवेदनों को प्राप्त कर सकता है एवं । उनका संग्रहण कर सकता है। इसलिए कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली के मूल सिद्धान्तों में डेटाबेस उन्मुख अनुप्रयोग की मूल आवश्यकताएँ ही सम्मिलित होती हैं।

3. लेखांकन क्वेरी (Accounting Query) – कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी प्राप्त करने के लिए क्वेरी का उपयोग किया जाता है । क्वेरी एक प्रश्न है, जो किसी निश्चित सूचना को प्राप्त करने के लिए सॉफ्टवेयर के माध्यम से डेटाबेस में डाली जा सकती है। उदाहरण के लिए; एक लेखाकार या उपयोगकर्ता को उन सभी देनदारों या उपभोक्ताओं की पहचान करनी है, जिन्होंने क्रेडिट सीमा की अवधि के भीतर भुगतान नहीं किया है तो इस प्रकार की सूचना को स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लेंगुएज के माध्यम से ज्ञात किया जा सकता है। इस प्रकार की सुविधा मानवीय लेखांकन पद्धति में सम्मिलित नहीं होती है।

4. डेटा एवं सूचनाएँ (Data & Information) – सर्वप्रथम कम्प्यूटर लेखा प्रणाली सम्पूर्ण रूप से लेन-देन की सूचनाओं पर निर्भर करती है। यह एक व्यवसाय में सूचनाओं के माध्यम से निर्णय लेने की प्रणाली है। यह एक संगठित एवं सुव्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से उपयोगकर्ता को लेखांकन से सम्बन्धित निर्णय लेने एवं लेखे तैयार करने की सुविधा प्रदान करता है। सर्वप्रथम लेखांकन से सम्बन्धित आँकड़ों को एकत्र किया जाता है। तत्पश्चात् उनका वर्गीकरण कर आँकड़ों को ऐडिट किया जाता है। यह प्रक्रिया आँकड़ों को अनुकूल सूचनाओं में रूपान्तरित करती है। डेटा क्रय, विक्रय, आय-व्यय, लेनदार-देनदार, सम्पत्ति आदि से सम्बन्धित होते हैं। यह डेटा विभिन्न विभागों द्वारा एकत्र कर एक मास्टर फाइल तैयार की जाती है । डेटा को एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से काम में लिया जाता है। एक व्यावसायिक संगठन की आवश्यकतानुसार सॉफ्टवेयर पैकेज बनाए जाते हैं। यह सॉफ्टवेयर लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के माध्यम से संचालित होता है । इस प्रणाली में डेटा को सूचनाओं से परिवर्तित करने हेतु सभी सूचनाओं को शुद्ध, पूर्ण एवं अधिकृत किया जाता है। यह प्रणाली इनपुट प्रोसेसिंग एवं आउटपुट पर आधारित होती है। सही सूचनाओं के रूप में सटीक निर्णय लेने के लिए, सही प्रकार के डेटा का इनपुट के तौर पर निर्धारण करना आवश्यक होता है।

5. कम्प्यूटरीकृत लेखांकन प्रक्रिया (Computerized Accounting Process) – यह प्रक्रिया लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के माध्यम से संचालित होती है। यह प्रणाली व्यापार में होने वाले लेन-देन (Transactions) को रिकार्ड, प्रोसेस, वैध एवं संग्रहण करने का कार्य करती है। यह लेन-देन कारोबार की प्रक्रियाओं, जैसे क्रय-विक्रय, बिलिंग, उत्पादन, पेरोल आदि से सम्बन्धित होते हैं। यह लेन-देन आन्तरिक अथवा बाह्य हो सकते हैं। जब उत्पादन विभाग,कच्चे माल की खरीद के लिए क्रय विभाग को निवेदन करता है, या एक विक्रय केन्द्र से दूसरे विक्रय केन्द्र में माल का हस्तान्तरण होता है तो इसे आन्तरिक लेन-देन की परिभाषा में लिया जायेगा। जब विक्रय विभाग, किसी ग्राहक को माल बेचता है तो यह बाह्य लेन-देन है। सामान्यतः वित्तीय लेखा विभाग का लेखा बाहर के लेन-देन से ही सीमित रहता है।

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