सांगा (मेवाड़) ने सिकन्दर लोदी के समय ही दिल्ली के अधीनस्थ राज्यों (इलाकों) पर अधिकार करना शुरू कर दिया था किन्तु अपने राज्य की निर्बलता के कारण वह महाराणा के साथ संघर्ष के लिए तैयार नहीं हो सका। सिकन्दर लोदी के उत्तराधिकारी इब्राहीम लोदी ने 1517 ई. में मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया। खातोली (कोटा) नामक स्थान पर दोनों पक्षों के बीच युद्ध हुआ जिसमें सांगा की विजय हुई। सुल्तान युद्ध के मैदान से भाग निकलने में सफल रहा किन्तु उसके एक शहजादे को कैद कर लिया गया। इस युद्ध में तलवार से साँगा का बायाँ हाथ कट गया और घुटने पर तीर लगने से वह हमेशा के लिए लंगड़ा हो गया। खातौली की पराजय का बदला लेने के लिए 1518 ई. में इब्राहिम लोदी ने मियाँ माखन की अध्यक्षता में साँगा के विरुद्ध एक सेना भेजी किन्तु साँगा ने बाड़ी (धौलपुर) नामक स्थान पर लड़े गए युद्ध में एक बार फिर शाही सेना को पराजित किया।