महाराणा की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित थी
1. निहत्थे पर वार नहीं करना – उन्होंने कभी भी निहत्थे पर वार नहीं करने का प्रण ले रखा था। वे सदैव दो तलवार रखते थे। एक तलवार दुश्मन को देने के लिए भी रखते थे।
2. मेवाड़ का राजचिह्न सामाजिक समरसता का प्रतीक है। एक तरफ क्षत्रिय व एक तरफ भील योद्धा, सर्व समाज समभाव का सूचक है। महाराणा प्रताप सभी के लिए प्रिय थे, सब लोग उनके लिए प्राण देने के लिए तैयार रहते थे।
3. धर्मरक्षक व राजचिह्न की सदैव रक्षा की उनकी मान्यता थी कि “जो दृढ़ राखे धर्म को तिहि राखे करतार।”