पंचायती राज संस्थाओं में महिला आरक्षण की व्यवस्था : महिलाओं का समुचित विकास हो सके तथा वे सक्रिय रूप से स्थानीय स्वशासन की गतिविधियों में भाग ले सकें, इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भारतीय संविधान के 73वें एवं 74 वें संवैधानिक संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में 1 / 3 पद सभी श्रेणियों में महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं।
इस प्रावधान से पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की तीव्रता के साथ भागीदारी बढ़ी है जिससे न केवल उनका सामाजिक व राजनीतिक सशक्तिकरण हुआ है अपितु उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से विकास के कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभायी है। अधिकांश महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों ने ग्राम सभा व पंचायत की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभायी है।
इस आरक्षण से स्थानीय स्वशासन के स्तर पर महिलाओं में काफी जागरूकता आई है। भारत में महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम समझा जा रहा है। आज आरक्षण के परिणास्वरूप भारत में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी ने 42.3 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर दिया है।