संयुक्त राजस्थान के उद्घाटन के तीन दिन बाद संयुक्त राजस्थान में मेवाड़ विलय के प्रश्न पर वार्ता आरम्भ हुई। सर राममूर्ति ने भारत सरकार को महाराणा की प्रमुख तीन माँगों से अवगत कराया। पहली महाराणा को संयुक्त राजस्थान का वंशानुगत राज प्रमुख बनाया जाए, दूसरी उन्हें बीस लाख रुपये वार्षिक प्रिवीपर्स दिया जाए और तीसरी यह कि उदयपुर को संयुक्त राजस्थान की राजधानी बनाया जाए।
रियासत विभाग ने संयुक्त राजस्थान के शासकों से बात करके मेवाड़ को संयुक्त राजस्थान में विलय करने का निश्चय किया। महाराणा की सभी माँगें पूर्ण की गईं तथा 11 अप्रैल, 1948 को मेवाड़ ने विलये पत्र पर हस्ताक्षर किए।