क्षेत्रवाद के दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-
- देश की एकता व अखण्डता को चुनौती
- विभिन्न क्षेत्रों के मध्य संघर्ष और तनाव
- केन्द्र व राज्यों की सरकारों के मध्य तनाव
- स्वार्थी नेतृत्व व संगठनों का विकास
- राष्ट्रीय प्रगति में बाधक
- पृथकतावाद को प्रोत्साहन
- नए राज्यों की माँग
- भूमिपुत्र की अवधारणा का विकास
- स्वयंभू नेताओं का उदय
- अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में देश की साख खराब होना
- राष्ट्रीय कानूनों व आदेशों को चुनौती
- राजनीति में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का अत्यधिक प्रभाव।