इस कविता में टिप्पणी-योग्य अन्य पद-प्रयोग हैं - पाताली अँधेरा, रमणीय उजेला, मीठे पानी का सोता, मुसकाता चाँद आदि। इनमें से एक प्रयोग पर टिप्पणी पाताली अँधेरा-ऐसा माना जाता है कि पाताल में सूर्य-चन्द्रमा की रोशनी न होने से वहाँ घना अँधेरा रहता है। अमावस्या की रात्रि में तो और भी घना अँधेरा छाया रहता है। कवि अपने प्रिय से पाताली अँधेरे में विलीन होने का दण्ड माँगता है।