चार्ली की फिल्मों में हास्य और करुणा का अदभत सामंजस्य है। उनकी फिल्मों में भाषा का प्रयोग बहुत कम है। चार्ली की फिल्मों में बुद्धि की अपेक्षा भावना का महत्त्व अधिक है। उनकी फिल्मों में सार्वभौमिकता है। चार्ली किसी को भी विदेशी नहीं लगते वरन् सभी उनमें अपनी छवि देखते हैं।
चार्ली ने फिल्मों को लोकतांत्रिक बनाया और फिल्मों में व्याप्त वर्ण तथा वर्ग व्यवस्था को तोड़ा। चार्ली सदैव अपनी फिल्मों में युवा दिखते हैं और यह युवापन उनके जोश, साहस, बुद्धि व अद्भुत समझ का भी प्रतीक बनता है। कालस्थिति को बदलने का सामर्थ्य भी युवाओं द्वारा ही संभव माना जाता है। यही कारण है कि उनकी फिल्मों में उनकी सामर्थ्यपूर्ण भूमिका एक नवीन संदेश प्रसारित करती है।