यशोधर बाबू ठेठ ग्रामीण परिवेश से मैट्रिक पास कर दिल्ली महानगर में किशनदा के पास नौकरी प्राप्त करने की इच्छा से पूरित होकर आए थे। उनकी पत्नी भी ग्रामीण परिवेश की थी और कम शिक्षित थी। फिर भी उनकी पत्नी उनकी अपेक्षा महानगर के जीवन से अर्थात् आधुनिकता से पूर्ण प्रभावित थी। वे अपने पति के नारे का विरोध करती थी। वे आधुनिक रंग-ढंग से रहना चाहती थी। वे अपनी बेटी के कहे अनुसार नए ढंग के कपड़े पहनना चाहती थी। उन्होंने होंठों पर लाली, बालों पर खिज़ाब लगाना तथा ऊँची ऐड़ी की चप्पल पहनना, सिर पर पल्लू न रखना प्रारम्भ कर दिया था। इस प्रकार वह ग्रामीण परिवेश को भूलकर शहरी जीवन की ओर आकृष्ट हो गयी थी।