1. प्रस्तावना - हमारे देश को स्वतन्त्रता - प्राप्त हुए काफी समय हो चुका है, लेकिन अनेक कारणों से आज भी भारत में वांछित प्रगति नहीं दिखाई दे रही है। इस कारण प्रायः हमारे नेता एवं बद्धिजीवी यह स्वतन्त्रता - प्राप्ति के बाद हमारे देश ने क्या खोया और क्या पाया? हमारी उपलब्धि क्या रही, हम कितनी प्रगति कर सके? कुछ निराशावादी लोग उपलब्धियों को कमतर आँकते हैं, तो कुछ लोग देश की प्रगति को देखकर गर्व की अनुभूति करते हैं।
2. स्वतन्त्र भारत की प्रमुख समस्याएँ - स्वतन्त्रता - प्राप्ति के बाद देश की प्रगति में बाधा डालने वाली अनेक समस्याएँ मानी जाती हैं। सर्वप्रथम शरणार्थी समस्या एवं साम्प्रदायिकता की समस्या उभरी, फिर बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिक विकास के साथ ही भाषावाद, प्रान्तवाद, शिक्षा - व्यवस्था एवं आर्थिक विकास आदि के उठीं। आवास - समस्या, परिवहन समस्या, वर्गभेद समस्या भी साथ में उभरती रही। वर्तमान में सबसे भयानक समस्या आतंकवाद, अलगाववाद एवं शत्रु - राष्ट्रों की छद्म - युद्ध की कूटनीति है। इन सभी समस्याओं के कारण सरकार विकास योजनाओं का अच्छी तरह संचालन नहीं कर सकी। फलतः स्वतन्त्रता - प्राप्ति का लाभ अधूरा ही मिल सका। यह अतीव विचारणीय पक्ष है।
3. प्रगतिशील भारत ने क्या खोया - स्वतन्त्रता - प्राप्ति के बाद गांधीजी के सपनों का खुशहाल देश बनाने का लक्ष्य लेकर हमारे नेतागण आगे अवश्य बढ़े, परन्तु स्वार्थी राजनीति, लालफीताशाही, भाई - भतीजावाद, भ्रष्टाचार और भेदभाव की नीति ने देश को जो हानि पहुँचायी अथवा शासन - तन्त्र को जितना कमजोर बनाया, वह स्वतन्त्र - देश का सर्वस्व खोने से कम नहीं है। देश का आत्मबल, रामराज्य का सपना एवं योजनाबद्ध प्रगति का मूल - मन्त्र खोजने से आज हमारा देश उसी पुराने मार्ग पर खड़ा दिखाई दे रहा है। यह स्थिति काफी अखरने वाली है।
4. स्वतन्त्र भारत की प्रमुख उपलब्धियाँ - प्रायः हम अपनी उपलब्धियों को लेकर मुखर नहीं रहते हैं, परन्तु समग्र रूप से देखा जाये, तो स्वतन्त्रता - प्राप्ति के बाद भारत में सैन्य - शक्ति की पर्याप्त वृद्धि हुई है। आज हमारी सेना नये आयुधों, मिसाइलों एवं अणु - आयुधों से सज्जित है। देश में अनेक बड़े - बड़े कारखाने स्थापित हो गये हैं, काफी सामान निर्यात किया जाता है। जहाज, कारें, बसें आदि सब यहाँ बनने लगे हैं। रेलवे, डाक - विभाग, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, फिल्म उद्योग, खेलकूद, अन्तरिक्ष अभियान तथा तकनीकी शिक्षा आदि अनेक क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है। अनेक क्षेत्रों में आशा से अधिक उपलब्धियों के कारण अब भारत प्रगतिशील देशों में आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है।
5. उपसंहार - स्वतन्त्रता - प्राप्ति के बाद भ्रष्ट राजनीति एवं कमजोर शासन - तन्त्र के कारण जैसी प्रगति वांछित थी, वह नहीं हो सकी। फिर भी भारत ने काफी प्रगति की है। यदि देश को उचित नेतृत्व मिले, तो यह अग्रणी शक्तिशाली देश बन सकता है। गाँधीजी के सपनों की पूर्ति अपरिमित उपलब्धियों से ही हो सकती है।