1. प्रस्तावना - वर्तमान काल में हमारे देश में महँगाई एक विकराल समस्या की तरह निरन्तर बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में इसका रूप और भी भयानक हो गया है। मूल्य - वृद्धि ने जनता की कमर तोड़ दी है। वस्तुओं के भाध आसमान छूने लगे हैं। गेहूँ, शक्कर, तेल, घी आदि आम जरूरत की सभी वस्तुओं के मूल्य काफी बढ़ गये हैं। इस कारण आम जनता आर्थिक तंगी से परेशान है।
2. महँगाई के कारण - यह महँगाई कई कारणों से बढ़ी है - (i) गलत अर्थनीति व प्रशासन की कमजोरी के कारण व्यापारियों ने मनमाने भाव बढ़ा दिये हैं। (ii) मुनाफे के लोभ में व्यापारी कालाबाजारी करने लगते हैं। (iii) उत्पादन की कमी होने से भी वस्तओं के भाव बढ़ जाते हैं। (iv) माल के वितरण की व्यवस्था ठीक न होने से या मांग की भी व्यापारी मूल्य बढ़ा देते हैं। (v) जनसंख्या की तीव्र वृद्धि भी एक कारण है। (vi) पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यवृद्धि से मालभाड़े में वृद्धि होने से भी महँगाई बढ़ जाती है। (vii) कर्मचारियों की वे न वृद्धि का भी मूल्यों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। (vii) रुपये की क्रय - शक्ति कम होना भी एक प्रमुख कारण है।
3. महँगाई का कुप्रभाव - महँगाई बढ़ने से समाज में असन्तोष ल रहा है। अपराधों को बढावा मिल रहा है। जीवन में सामान्य उपयोगी वस्तुओं के भाव आसमान छू जाने से सामान्य व्यक्ति लाचार रहता है, फलस्वरूप आर्थिक विषमता के कारण समाज में ईर्ष्या - द्वेष, कुण्ठा आदि विकार अशान्ति बढ़ा रहे हैं। वर्तमान समय में मानव - जीवन में नैतिक मूल्यों का जो ह्रास हो रहा है, उसमें महँगाई की उत्तरोत्तर वृद्धि भी एक प्रमुख कारण है। रोटी, कपड़ा और मकान से सब परेशान हैं। सरकारी - तन्त्र महँगाई पर कारगर नियन्त्रण नहीं रख पा रहा है।
सामान्य रूप से निम्न - मध्यम वर्ग को महँगाई के कारण अनेक परेशानियाँ झेलनी पड़ रही हैं। गरीब जनता का जीवन - स्तर गिर रहा है, सन्तुलित आहार न मिलने से अनेक रोग फैल रहे हैं और जीवनी - शक्ति क्षीण हो रही है।
4. समस्या का समाधान - मूल्यवृद्धि की समस्या के समाधान का प्रथम उपाय यह है कि व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा भ्रष्ट कर्मचारियों का नैतिक उत्थान किया जाए। कालाबाजारी और मुनाफाखोरी पर पूर्णतः अंकुश लगाया जाये। सरकार आवश्यक वस्तुओं के उचित मूल्य पर वितरण की व्यवस्था स्वयं करे। साथ ही जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाकर उत्पादन दर बढ़ाई जाये। आवश्यक वस्तुओं के स्टॉक बनाये जायें तथा महँगाई को रोकने के लिए कठोर कानून बनाया जाये।
5. उपसंहार - महँगाई पर नियंत्रण पाना जरूरी है। बढ़ती हुई महँगाई से निम्न वर्ग की क्रय - शक्ति नष्ट हो गई है तथा आर्थिक विषमता की खाई और भी चौड़ी हो रही है। अतः गरीब जनता का सामाजिक, आर्थिक विकास तथा देश का समुन्नत भविष्य महँगाई पर नियन्त्रण रखने पर ही हो सकता है।