1. प्रस्तावना - भारत एक ऐसा कृषि - प्रधान देश है जहाँ मानसून एवं मौसम की कृपा पर रहना पड़ता है। यहाँ कई ऐसे इलाके हैं जहाँ वर्षा ऋतु में एक बूंद भी नहीं पड़ती है और कड़कड़ाती सर्दी के दिनों में खूब वर्षा होती है। बिहार, असम, बंगाल आदि ऐसे प्रदेश हैं जहाँ अत्यधिक वर्षा होने से प्रतिवर्ष बाढ़ की समस्या बनी रहती है। परन्तु राजस्थान का अधिकांश पश्चिमोत्तर इलाका मौसम पर वर्षा न होने से पानी के लिए तरसता रहता है। अवर्षण के कारण यहाँ अकाल या सूखा पड़ जाता है।
2. राजस्थान में अकाल की समस्या - राजस्थान का अधिकतर भू - भाग शुष्क मरुस्थलीय हैं। इसके पश्चिमोत्तर भाग में मानसून की वर्षा प्रायः कम होती है और यहाँ पेयजल एवं सिंचाई सुविधाओं का नितान्त अभाव है। अवर्षण के कारण यहाँ पर अकाल की काली छाया हर साल मँडराती रहती है और हजारों गाँव प्रतिवर्ष अकाल से ग्रस्त रहते हैं।
3. अकाल के दुष्परिणाम - राजस्थान में निरन्तर अकाल पड़ने से अनेक दुष्परिणाम देखने - सुनने में आते हैं। अकालग्रस्त क्षेत्रों के लोग अपने घरों का सारा सामान बेचकर या छोड़कर पलायन कर जाते हैं। जो लोग वहाँ रह जाते हैं, उन्हें कई बार भूखे ही सोना पड़ता है। जो लोग काम - धन्धे की खोज में दूसरे शहरों में चले जाते हैं, उन्हें वहाँ उचित काम नहीं मिलता है और वे सदा ही आर्थिक संकट से घिरे रहते हैं। अकाल - ग्रस्त क्षेत्रों में पेयजल के अभाव से लोग अपने मवेशियों को लेकर अन्यत्र चले जाते हैं और घुमक्कड़ जातियों की तरह इधर - उधर भटकते रहते हैं।
अकाल के कारण राजस्थान सरकार को राहत कार्यों पर प्रतिवर्ष अत्यधिक धन व्यय करना पड़ता है। इससे राज्य के विकास की गति धीमी पड़ जाती है। अकालग्रस्त क्षेत्रों में आर्थिक - शोषण का चक्र भी चलता है। पेट की खातिर सामान्य जनता बड़ा से बड़ा अत्याचार भी सह लेती है। फिर भी अकाल से मुक्ति नहीं मिलती है।
4. अकाल रोकने के उपाय - राजस्थान में सरकारी स्तर पर अकालग्रस्त लोगों को राह पहुँचाने के लिए समय - समय पर अनेक उपाय किये गये, परन्तु अकाल की विभीषिका का स्थायी समाधान नहीं हो पाया। सरकार समय - समय पर अनेक जिलों को अकालग्रस्त घोषित कर सहायता कार्यक्रम चलाती रहती है। इसके लिए राज्य सरकार समय - समय पर केन्द्र सरकार से सहायता लेकर तथा मनरेगा योजना के अन्तर्गत अकाल राहत के उपाय करती रहती है, परन्तु इतना सब कुछ करने पर भी राजस्थान में अकाल की समस्या का कारगर समाधान नहीं हो पाता है।
5. उपसंहार - राजस्थान की जनता को निरन्तर कई वर्षों से अकाल का सामना करना पड़ रहा है। हर बार राज्य सरकार केन्द्रीय सरकार से आर्थिक सहायता की याचना करती रहती है। अकालग्रस्त लोगों की सहायता के लिए दानी मानी लोगों और स्वयंसेवी संगठनों का सहयोग अपेक्षित है। इस तरह सभी के समन्वित प्रयासों से ही राजस्थान को अकाल की विभीषिका से बचाया जा सकता है।