(अ) जीवन में प्रगति के लिए भाग्यवादी एवं आलसी प्रवृत्ति तथा अविवेक को त्याग कर उद्यमी एवं पुरुषार्थी भावना की जरूरत होती है।
(ब) परस्पर भाईचारे का व्यवहार रखें, धार्मिक कट्टरता एवं साम्प्रदायिक भेदभाव को त्यागें और सह अस्तित्व का आचरण अपनाना चाहिए।
(स) इस काव्यांश में कवि ने सभी भारतीयों को सम्बोधित किया है, क्योंकि कवि चाहता है कि सभी भारतीय परस्पर एकता, बन्धुता, मैत्री एवं सहयोग रखकर देश की प्रगति में सहभागी बनें।
(द) कवि का आशय है कि अविवेक, स्वार्थ, आलस्य एवं मतभेदों को त्याग कर सभी भारतीय आपसी मेल जोल और भाईचारे से रहें, इससे देश का हित किया जा सकता है।
(य) कवि ने आलसी लोगों को पौरुष का पाठ पढ़ने के लिए कहा है।
(र) इस पंक्ति में रूपक अलंकार है, परिभाषा उपमेय पर जब उपमान का आरोप कर दिया जाता है तब रूपक अलंकार होता है।