आवश्यक भौगोलिक दशाएँ:
1. तापमान: यह विष्णु कटिबन्धीय पौधा है। इसके लिए 25 से 30°C तापमान आदर्श रहता है।
2. वर्षा: 200 से 250 सेमी. आवश्यक है। वर्ष में बार-बार वर्षा की बोछारें उपयुक्त रहती हैं।
3. मिट्टी: चाय के लिए मिट्टी गहरी और गंधक युक्त होनी चाहिए। वनों का साफ करके तैयार की गई भूमि अच्छी मानी जाती है।
4. धरातल: सुप्रवाहित धरातल आवश्यक होता है। पौधे की जड़ों में पानी का एकत्र होना हानिकारक रहता है। चाय के बागान ढालू पहाड़ियों पर ही उगाये जाते हैं।
भारत में चाय की कृषि सन् 1840 में असम राज्य की ब्रह्मपुत्र घाटी में सबसे पहले प्रारम्भ की गई। वर्तमान में भी ब्रह्मपुत्र घाटी चाय उत्पादन की दृष्टि से भारत का सर्वप्रमुख क्षेत्र है। भारत के प्रमुख चाय उत्पादक क्षेत्र निम्नानुसार हैं –
1. असम: सभी आवश्यक भौगोलिक दशायें अनुकूल होने से यहाँ देश का 52 प्रतिशत चाय क्षेत्र एवं 54 प्रतिशत चाय उत्पादन कर दोनों तरफ से प्रथम स्थान पर है। शिवसागर, लखीमपुर, दरांग, गोलपाड़ा, नौगांव आदि जिले मुख्य हैं। देश के अन्य राज्यों विशेष दक्षिण में उत्पादन बढ़ने से असम में चाय सापेक्षिक महत्व कुछ कम होता जा रहा है।
2. प. बंगाल: यह दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य है जहाँ देश की 22.36 प्रतिशत चाय का उत्पादन किया जाता है। दार्जलिंग, जलपाई गुड़ी;, कूचबिहार, पुरूलिंया मुख्य उत्पादक जिले हैं। दार्जलिंग की चाय उत्तम, सुगन्धित चाय होती है। जिसकी देश व विदेश में बहुत अधिक माँग रहती है।
3. तमिलनाडु: देश की 12 प्रतिशत, चाय उत्पादन कर तृतीय स्थान पर है। नीलीगिरी व अन्नामलाई की पहाड़ियाँ क्रमशः 46 एवं 33 प्रतिशत उत्पादन करती हैं। यहाँ की चाय की माँग यूरोपियन देशों में अधिक रहती है।
4. केरल: यहाँ देश की 8.5 प्रतिशत चाय पैदा होती है। त्रिचूर, पालघाट, कन्नानोर, त्रिवेन्द्रम, कोजीकोड़, मालापुरम प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
अन्य उत्पादक राज्य:
हिमाचल प्रदेश-कांगड़ा मण्डी जिले में हरी चाय, उत्तराखण्ड में देहरादून, अल्मोड़ा, गढ़वाल जिले कर्नाटक-कुर्ग, मैसूर, चिकमंगलूर जिले। मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश में भी अल्प मात्रा में चाय पैदा की जाती है। यह सभी राज्य मिल कर देश की 1 प्रतिशत चाय का उत्पादन करते हैं।
