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भारत में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले कारकों की संक्षेप में विवेचना करते हुए प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक केन्द्रों का विवरण दीजिए।

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सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के कारक: भारत में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले कारकों में कच्चे माल की स्थानीय उपलब्धता, सस्ते कुशल श्रमिकों की स्थानीय उपलब्धता, बाजार, सस्ती जल विद्युत शक्ति की उपलब्धता, स्थानिक निवेश तथा पत्तन की सुविधा जैसे कारक प्रमुख रूप से प्रभावी रहे हैं। कपास एक शुद्ध कच्चा माल है जिसका वजन निर्माण प्रक्रिया में घटता नहीं है इसलिए वर्तमान में भारत के अधिकांश सूती वस्त्र उद्योग कपास उत्पादक क्षेत्रों के समीप ही स्थापित मिलते हैं।

वर्तमान में सूती वस्त्र उद्योग को बाजार में या बाजार के समीप स्थापित करने की प्रवृत्ति मिलती है तथा बाजार की माँग यह निर्धारित करती है कि उद्योग में किस प्रकार के कपड़े का उत्पादन होना चाहिए। जल विद्युत शक्ति के विकास से सूती वस्त्र मिलों को कपास उत्पादक क्षेत्रों से दूर स्थापित करने में सहयोग मिला है। तमिलनाडु राज्य की अधिकांश सूती वस्त्र मिलें सस्ती जलविद्युत शक्ति की उपलब्धता के कारण ही स्थापित हुई हैं।

सस्ते कुशल श्रमिकों की स्थानीय उपलब्धता: सस्ते कुशल श्रमिकों की स्थानीय उपलब्धता के आधार पर उज्जैन, भरूच, आगरा, हाथरस, कोयंबटूर तथा तिरूनेलवेली नामक स्थानों पर सूती वस्त्र मिलों की स्थापना की गई। स्थानिक निवेश ने मुम्बई तथा कानपुर नगरों में सूती वस्त्र मिलों की स्थापना को बल प्रदान किया, जबकि पत्तन की सुविधा के कारण कोलकाता में सूती वस्त्र मिलें स्थापित की गईं।

भारत में सूती वस्त्र उत्पादन के प्रमुख केन्द्र: भारत में सूती वस्त्र उद्योग का सर्वाधिक विकास गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु राज्यों में हुआ है, जबकि मुम्बई तथा अहमदाबाद भारत में सूती वस्त्र उद्योग के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।

वर्तमान में भारत के प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक राज्यों के निम्नलिखित केन्द्रों पर सूती वस्त्र उद्योग कार्यरत हैं –

  1. गुजरात – अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट तथा पोरबन्दर, हिम्मतनगर।
  2. महाराष्ट्र – मुम्बई, पुणे, जलगाँव, औरंगाबाद, सांगली, कोल्हापुर, शोलापुर, नागपुर, वर्धा तथा सतारा।
  3. कर्नाटक – हुबली, मैसूर, बंगलौर, देवानगिरी, बेल्लारी, गुलबर्गा तथा छुणली।
  4. मध्य प्रदेश – इन्दौर, उज्जैन, देवास तथा बुरहानपुर तथा ग्वालियर।

सीमेण्ट उद्योग का वितरण: भारत में कुल सीमेण्ट उत्पादन का 74% गुजरात राजस्थान, तमिलनाडु, बिहार, मध्य प्रदेश तथा झारखण्ड राज्यों से प्राप्त होता है। सीमेण्ट के बड़े संयन्त्रों में से 77 संयन्त्र आन्ध्र प्रदेश राजस्थान और तमिलनाडु में है। सीमेण्ट उद्योग की शीर्ष 20 कम्पनियाँ 70% से अधिक सीमेण्ट का उत्पादन करती हैं।

भारत में सीमेण्ट उत्पादक प्रमुख राज्य तथा उनके केन्द्र निम्नलिखित हैं –

1. तमिलनाडु: प्रमुख केन्द्र-शंकर दुर्ग, डालमियापुरम, पुलपुर, आयिला, मदुरे, अलुगंग आदि।

2. मध्यप्रदेश प्रमुख केन्द्र: जामुल, सतना, मैहर, कैसून, गोपाल नगर, अंकल तारा, बनयोर, नीमच ग्वालियर, कटनी तथा दमोह आदि।

3. आन्ध्रप्रदेश प्रमुख केन्द्र: मछरेला, मंगलगिरी, पनयाम, कृष्णा, विजयवाड़ा तांदूर मान्चेरियल, येरागुटला, बुगनीपाली, किस्तृना, पेरापल्ली, नलकोण्डा, हैदराबाद, आदिलाबाद आदि।

4. राजस्थान: प्रमुख केन्द्र-लाखेरी, निम्बाहेड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, व्यावर आदि।

5. गुजरात: प्रमुख केन्द्र-सिक्का, पोरबन्दर, द्वारिका, रनवाब, ओखला मण्डल, अहमदाबाद आदि।

6. कर्नाटक: प्रमुख केन्द्र–बागलकोट, बाड़ी भद्रावती, बैगंलुरु, कुरकन्ता, शाहबाद् आमसन्द्र बीजापुर, गुलवर्गा, तुलकुर आदि।

7. झारखण्ड: प्रमुख केन्द्र-सिन्दरी, डालमिया नगर, खेलारी, जपला, चाइबासा, बनजारी तथा कल्याणपुर आदि।

8. उत्तर प्रदेश: यह नवीन सीमेण्ट उत्पादक राज्य है। चुर्क, चोपन तथा चुनार प्रमुख सीमेण्ट उत्पादक जिले हैं।

उपर्युक्त के अलावा हरियाणा में सूरजपुर, चरखी, दादरी, महाराष्ट्र में चन्द्रपुरा, उड़ीसा में हीराकुण्ड, राजगपुरा, केरल में कोटायम, जम्मू-कश्मीर में ब्रूयान तथा मेघालय में छोटे-छोटे सीमेण्ट संयन्त्र स्थापित किये गए हैं।

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