राज्य में निम्नलिखित सुझावों को अमल में लाकर सिंचाई का विकास किया जा सकता है –
- उपलब्ध जल का सर्वाधिक संरक्षण आवश्यक है।
- भूमिगत जल का उपयोग पूरी सतर्कता से होना चाहिए।
- नदी-बेसिन आधार पर जल के सम्बन्ध में सघन नियोजन किया जाना चाहिए।
- आधुनिक तकनीकी विधियों का प्रयोग कर जल रिसाव व वाष्पन से होने वाली जल क्षति को घटाना चाहिए।
- फव्वारा-सिंचाई व बूंद-बूंद सिंचाई विधियों का उपयोग कर जल की बचत करनी चाहिए।
- भू-जल एवं सतही जल का मिला-जुला उपयोग होना चाहिए।
- जल मार्गों व खेत की नालियों की लाइनिंग को प्राथमिकता से पूरा किया जाना चाहिए।
- चालू परियोजनाओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि उनसे प्रतिफल प्राप्त होने लगे।
- नई योजनाओं को चयनित आधार पर स्वीकार करना चाहिए।
- परियोजना के रख-रखाव को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।