प्रस्तुत संस्मरण में भक्तिन के चरित्र की अनेक विशेषताएँ व्यक्त हुई हैं। भक्तिन स्वाभिमानी, मान-सम्मान का ध्यान रखने वाली, मेहनती एवं स्वावलम्बी थी। पति की मृत्यु के बाद वह सम्पत्ति के लोभी जेठ-जिठौतों का डटकर सामना करती रही। वह कर्त्तव्यपरायण, लगनशील, धार्मिक आस्था के साथ अन्धविश्वासी भी थी। वह सेवक-धर्म का दृढ़ता से पालन करती थी।