प्रकाश संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है। इसे सिद्ध करने के लिए कोलियस या क्रॉटन पौधे की चित्तीदार या बहुरंगी (variegated) पत्ती को तोड़कर उसे ऐल्कोहॉल में उबाला जाता है। इससे पत्ती में उपस्थित क्लोरोफिल ऐल्कोहॉल में घुल जाता है तथा पत्ती रंगहीन हो जाती है। अब इस पत्ती को पानी में अच्छी तरह साफ कर उसपर आयोडीन का घोल डाला जाता है। यह पाया जाता है कि पत्ती पर जहाँ-जहाँ क्लोरोफिल नहीं था, वहाँ-वहाँ आयोडीन के घोल का कोई असर नहीं हुआ। परंतु, जहाँ-जहाँ पत्ती पर क्लोरोफिल था, वहाँ-वहाँ का भाग गाढ़ा नीला रंग का हो गया। इससे स्पष्ट होता है कि जहाँ क्लोरोफिल था, वहीं प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया संपन्न हुई तथा स्टार्च का निर्माण हुआ। इससे सिद्ध होता है कि प्रकाशसंश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।
