एकाकी व्यापार व्यापार से तात्पर्य किसी एक व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले व्यापार से है।
एकाकी व्यापार की विशेषता इस प्रकार हैं-
- एकाकी व्यापार की स्थापना केवल एक व्यक्ति करता है। पूरे व्यापार का समस्त उत्तरदायित्व उसके कंधों पर ही होता है।
- एकाकी व्यापार में आवश्यक एक व्यक्ति द्वारा ही लगाई जाती पूंजी लगाता है।
- एकाकी व्यापार में सारे व्यापार का संचालन एक व्यक्ति ही करता है। वह वही उस व्यापार से लाभ प्राप्त करता है, वही उस व्यापार की हानि को सहन करता है।
- एकाकी व्यापार में सारी संपत्ति का स्वामी भी वह स्वयं ही होता है।
- एकाकी व्यापार एक ही व्यक्ति के हाथ में होने के कारण से संबंधित निर्णय लेने में आसानी और शीघ्रता होती है।
- एकाकी व्यापार की विशेषता यह भी है कि इस व्यापार से प्राप्त लाभ पूंजी को व्यक्ति अपने निजी कार्यों में जब चाहे प्रयुक्त कर सकता है क्योंकि की संपत्ति पर केवल उसी का अधिकार होता है।
- एकाकी व्यापार करने वाला व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार जब चाहे व्यापार शुरू एवं बंद कर सकता है, उस पर किसी तरह का कोई दवाब नहीं होता।
- एकाकी व्यापार में किसी तरह का वैधानिक शिष्टाचार नहीं होता।