निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर दें :
जो लोग साहित्य में युग परिवर्तन करना चाहते हैं, लकीर के फकीर नहीं हैं, जो रूढ़ियाँ तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान सबसे ज्यादा आवश्यक है। जो लोग समाज में बुनियादी परिवर्तन करके वर्गहीन शोषण मुक्त समाज की रचना करना चाहते हैं, वे अपने सिद्धांतों को ऐतिहासिक भौतिकवाद के नाम से पुकारते हैं। जो महत्व ऐतिहासिक भौतिकवाद के लिए इतिहास का है, वही आलोचना के लिए साहित्य की परंपरा का है। साहित्य की परम्परा के ज्ञान से ही साहित्य की धारा मोड़ी जा सकती है और नए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण किया जा सकता है। प्रगतिशील आलोचना किन्हीं अमूर्त सिद्धांतों का संकलन नहीं है, वह साहित्य की परंपरा का मूर्त ज्ञान है और यह ज्ञान उतना ही विकासमान है जितना साहित्य की परंपरा।
(i) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से संकलित है?
(ii) इस पाठ के लेखक कौन हैं?
(iii) इस गद्यांश में लेखक के कहने का भाव क्या है?