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किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र में रखे किसी विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाले बल आघूर्ण के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए। इस विद्युत क्षेत्र में द्विधुव के उस अभिविन्यास की पहचान कीजिए जिसमें यह स्थायी संतुलन प्राप्त कर लेता है।

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एकसमान बाह्य क्षेत्र में द्विधुव (Dipole in a Uniform External Field) 
(a) समरूप विद्युत् क्षेत्र में द्विधुव पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण: चित्र में एक समरूप विद्युत् क्षेत्र में एक वैद्युत द्विध्रुव

समरूप विद्युत् क्षेत्र में द्विधुव पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण: चित्र 1.39 में एक समरूप विद्युत् क्षेत्र में एक वैद्युत द्विध्रुव

θ विक्षेप (deflection) की स्थिति में दिखाया गया है। द्विधुव के आवेशों (+q) व (-q) पर लगने वाले वैद्युत बल (qE) परिमाण में समान एवं दिशा में विपरीत हैं तथा दोनों की क्रिया रेखाएँ (line of action) भिन (different) हैं। अत: ये दोनों बल बलयुम बनाते हैं। इस बल युग्म का आघूर्ण

τ = बल x बलों की क्रिया रेखाओं के मध्य दूरी 

या τ = qE x BC 

चित्र से, \(\frac{BC}{AB}\)  = sinθ

या BC = AB. sinθ 

या BC = 2l.sinθ

अतः τ = qE x 2l sinθ

= q2l. E sinθ

τ = बल x बलों की क्रिया रेखाओं के मध्य दूरी

चित्र 1.40 की सहायता से सदिश रूप (veeter form) में बलयुग्म के आपूर्ण को निम्न प्रकार लिख सकते हैं-

सदिश रूप (veeter form) में बलयुग्म के आपूर्ण को निम्न प्रकार लिख सकते हैं-

सदिश राशि बल आघूर्ण  \(\vec \tau\) को दिशा दक्षिणावर्त पेंच के नियमानुसार (according to right handed crew rule) \(\overrightarrow p\)  व  \(\overrightarrow E\)  के तल के लम्बवत् होती है।

(i) जब θ = 0 तो sinθ = 0

अत: τ = pE sinθ = 0 

या τ = 0

यही स्थायी सन्तुलन (stable equilibrium) की अवस्था है।

(ii) यदि θ = 90° तो sinθ = 1 

τmax = pE 

(iii) ∵ τ = pE sinθ

यदि E = 1 NC-1, sinθ = 1 अर्थात् θ = 90°

तो τ = p

अर्थात् "वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण उस बलयुग्म के आघूर्ण (torque) के तुल्य है जो द्विघुव पर तब कार्य करता है जब वह एकांक तीव्रता के समरूप (uniform) वैद्युत क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् रखा होता है।"

(b) जब वैद्युत द्विध्रुव असमान (non - uniform) विद्युत् क्षेत्र में होता है-

(i) जब विद्युत् क्षेत्र  \(\overrightarrow p\)   की दिशा में बड़ता है: इस दशा में यदि (-q) आवेश की स्थिति में विद्युत् क्षेत्र E1 और (+q) की स्थिति में E2  है और E2 > E1 अत: (-q) पर बल qE1 आवेश (+q) पर बल qE2 से कम होगा और फलस्वरूप नेट बल = qE2 - qE1 होगा।

जब वैद्युत द्विध्रुव असमान (non - uniform) विद्युत् क्षेत्र में होता है

(ii) जब विद्युत् क्षेत्र  \( \overrightarrow p\)  की विपरीत दिशा में बढ़ता है: इस दशा में (-q) पर लगने वाला बल qE1 आवेश (+q) पर लगने वाले बल qE2 से अधिक होगा क्योंकि E1 > E2 अत: नेट बल = qE1 - qE2 होगा।  

जब विद्युत् क्षेत्र  → p  की विपरीत दिशा में बढ़ता है

उक्त दोनों स्थितियों में द्विध्रुव पर नेट बल युग्म का आघूर्ण τ = pE sinθ = 0 होगा क्योंकि θ = 0°।

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