पीड़कनाशियों में DDT जैसे क्लोरीनयुक्त हाइड्रोकार्बन अनिम्नीकरणीय (non-degradable) होने के कारण पौधों के द्वारा खाद्य श्रृंखला के हर पोषी स्तर (trophic level) में पहुँचते हैं। इनकी मात्रा पहले पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर में क्रमशः बढ़ती जाती है। इस क्रिया को जैव आवर्धन (biomagnification) कहते हैं। इससे पक्षियों तथा मछलियों की मृत्यु हो जाती है तथा जलीय प्राणियों को हानि होती है। ये कशेरुकियाँ (vertebrates) में तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं तथा जनन ग्रंथियों के हॉर्मोन के संतुलन को प्रभावित कर अंडोत्सर्ग (ovulation) में विलंब कर देते हैं।