(i) अम्ल उत्प्रेरित जलयोजन द्वारा (By acid catalysed hydration): ऐल्कीन तनु अम्ल की उत्प्रेरकों की तरह उपस्थिति में जल के साथ अभिक्रिया करके ऐल्कोहॉल बनाती हैं।

असममित ऐल्कीनों में योगज अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार होती है।

इस अभिक्रिया की क्रियाविधि तीन चरणों में सम्पन्न होती है
चरण 1: H3O+ के इलेक्ट्रॉनरागी आक्रमण के द्वारा ऐल्कीनों के प्रोटॉनन से कार्बोकैटायन बनते हैं।

चरण 2: कार्बोकैटायन या कार्बोधनायन पर जल का नाभिकरागी
आक्रमण:
(ii) हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण के द्वारा (By hydroboration oxidation): डाइबोरेन H3O ऐल्कीनों से अभिक्रिया करके एक योगज उत्पाद ट्राइऐल्किल बोरेन बनाता है जो जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में हाइड्रोजन पर-ऑक्साइड द्वारा ऑक्सीकृत होकर ऐल्कोहॉल देता है। यह अभिक्रिया प्रतिमार्कोनीकॉफ योग द्वारा सम्पन्न होती है।

इस अभिक्रिया में द्विक् आबन्ध पर बोरेन का योजन इस प्रकार होता है कि बोरॉन परमाणु उस p2 संकरित कार्बन परमाणु पर जुड़ता है जिस पर पहले से ही अधिक हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित होते हैं। इस प्रकार से प्राप्त ऐल्कोहॉल, ऐल्कीनों से मार्कोनीकॉफ के नियम के विपरीत जलयोजन से प्राप्त होते हैं। इससे ऐल्कोहॉलों की लब्धि उत्तम होती है।