(क) अन्य व्याकरणिक पदों के विग्रह करने पर विशेष अर्थ उत्पन्न नहीं होता है जबकि सामासिक पद के विग्रह से विशेष अर्थ ध्वनित होता है।
(ख) तत्पुरुष समास में उत्तर पद प्रमुख होता है। उत्तर पद से ही अर्थ का पता चलता है।
उदाहरण- राजपुत्र- राजा का पुत्र
राजपुत्री- राजा की पुत्री
(ग) 'यथाशक्ति' में प्रथम पद 'यथा' है जो एक अव्यय पद है। अव्ययीभाव समास में प्रथम पद अव्यय और प्रमुख होता है।
(घ) त्रिलोकीनाथ - तीनों लोकों के नाथ हैं जो अर्थात विष्णु - बहुव्रीहि समास
(ङ) द्विगु समास में प्रथम पद हमेशा संख्यावाची होता है। उदाहरण- त्रिकोण, चौराहा आदि।