विश्व के अधिकांश विकासशील राष्ट्रों में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि अनुभव की जा रही है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के निम्नलिखित दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं
- उपलब्ध संसाधनों का तेजी से ह्रास हो रहा है जिसके कारण प्रति व्यक्ति संसाधनों की उपलब्धता का स्तर घटता जा रहा है।
- देश के उपलब्ध संसाधन देश की बढ़ती जनसंख्या का पर्याप्त भरण-पोषण नहीं कर पाते जिसके कारण उन देशों में भुखमरी, महामारी तथा गृह-युद्ध जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। एड्स/ एच. आई. वी. जैसी घातक बीमारियों के प्रकोप ने अफ्रीका सहित स्वतंत्र राष्ट्रों के राष्ट्रमण्डल के कुछ भागों में तथा एशिया में मृत्यु दर को बढ़ा दिया है।
- भुखमरी, महामारी तथा गृह-युद्ध जैसी समस्याओं से ग्रस्त क्षेत्रों के निवासियों के औसत जीवन की जीवन प्रत्याशा घट जाती है।
- पोषण स्तर कम हो जाता है।
- आवासों की कमी एवं गंदी बस्तियों का उदय होता है।
- पर्यावरण प्रदूषण संबंधी समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
- रोजगारहीनता बढ़ती है।