डेरी कृषि: दूध एवं दूध से बने पदार्थ जैसे मक्खन, पनीर, पाउडर, दूध, दही आदि के लिए दुधारू पशुओं व अन्य पशुओं को पालने के व्यवसाय को डेरी कृषि के नाम से जाना जाता है।
विश्व में डेरी कृषि की प्रमुख विशेषताएँ-विश्व में किए जाने वाली डेरी कृषि व्यवसाय की निम्नलिखित विशेषताएँ सर्वप्रमुख हैं
1. इस व्यवसाय में सर्वाधिक उन्नत एवं दक्ष तकनीक की सहायता से दुधारू पशुओं का वाणिज्यिक स्तर पर पालन किया जाता है।
2. इस व्यवसाय में गहन मानवीय श्रम तथा पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता होती है।
3. पालित पशुओं के आवास, चारा - भण्डारण तथा दुग्ध उत्पादन में प्रयुक्त यंत्रों पर पर्याप्त पूँजी व्यय की जाती है।
4. पालित पशुओं के पालन व दुग्ध उत्पादन के लिए वर्षपर्यन्त मानवीय श्रम की आवश्यकता पड़ती है।
5. पशुओं के स्वास्थ्य, प्रजनन एवं पशु चिकित्सा पर पर्याप्त ध्यान दिया जाता है।
6. डेरी कृषि का व्यवसाय नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों के समीपवर्ती भागों में किया जाता है तथा डेरी कृषि से प्राप्त ताजा दूध तथा अन्य डेरी उत्पाद की खपत इन्हीं नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों में हो जाती है।
7. इस व्यवसाय में विकसित यातायात के साधनों, प्रशीतकों का उपयोग तथा पास्चुरीकरण की सुविधा उपलब्ध रहती है। इसी कारण इस व्यवसाय से प्राप्त विभिन्न डेरी उत्पादों को दीर्घ समय तक संरक्षित रखा जा सकता है। प्राथमिक क्रियाएँ 3101 विश्व में डेरी कृषि के प्रमुख क्षेत्र विश्व में डेरी कृषि के प्रमुख क्षेत्रों को नीचे दिए गए विश्व मानचित्र पर प्रदर्शित किया गया है।

मानचित्र-विश्व में डेरी कृषि के क्षेत्र
मानचित्र - विश्व में डेरी कृषि के क्षेत्र मानचित्र से स्पष्ट है कि विश्व में वाणिज्य स्तर के डेरी कृषि के निम्नलिखित क्षेत्र हैं
1. उत्तरी - पश्चिमी यूरोप।
2. कनाडा का दक्षिणी - पूर्वी भाग।
3. दक्षिणी - पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, तस्मानिया तथा न्यूजीलैण्ड।
बाजार के लिए सब्जी की खेती व उद्यान कृषि: इस प्रकार की कृषि उत्तरी - पश्चिमी यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी भाग व भूमध्य सागरीय प्रदेश में अधिक विकसित है। बाजार के लिए सब्जी की खेती एवं उद्यान कृषि की विशेषताएँ-बाजार के लिए सब्जी की खेती एवं उद्यान कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
1. इस कृषि के अंतर्गत अधिक आर्थिक लाभ प्रदान करने वाली कृषि फसलों जैसे सब्जियों, फलों एवं पुष्पों की खेती की जाती है जिनकी माँग समीपवर्ती नगरीय क्षेत्रों में अधिक होती है।
2. इस कृषि में अधिक पूँजी तथा गहन श्रम की आवश्यकता होती है।
3. इस कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है तथा इन खेतों का सीधा सम्पर्क उत्तम यातायात के साधनों द्वारा उनके समीपवर्ती नगरों से होता है जिनमें इस कृषि के उत्पादों की खपत होती है।
4. इस कृषि व्यवसाय में पर्याप्त सिंचाई, उर्वरक, उत्तम किस्म के बीज एवं कीटनाशी रसायनों का उपयोग किया जाता है। कुछ कम तापमान वाले क्षेत्रों में हरित गृह एवं कृत्रिम ताप का प्रयोग भी इस प्रकार की कृषि में किया जाता है।
5. जिन क्षेत्रों में कृषक केवल सब्जियों का उत्पादन करते हैं, उन कृषकों के खेत को ट्रक फार्म कहा जाता है। ट्रक फार्म से बाजार तक की दूरी, ट्रक द्वारा अधिकतम एक रात में तय की जाती है इसलिए इस प्रकार की जाने वाली कृषि ट्रक कृषि कहलाती है।
6. पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यान कृषि के अलावा कारखाना कृषि भी की जाती है जिसमें गाय - बैल जैसे पशुधन तथा मुर्गियों को उच्च तकनीक एवं वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से पाला जाता है तथा इन पालित पशुओं को कारखानों में निर्मित किए जाने वाले पशु आहार को खिलाया जाता है।
विश्व में बाजार के लिए सब्जी खेती व उद्यान कृषि के प्रमुख क्षेत्र-यह कृषि विश्व के निम्नलिखित क्षेत्रों में विकसित अवस्था में मिलती है
1. उत्तरी - पश्चिमी यूरोप
2. संयुक्त राज्य अमेरिका का उत्तरी - पूर्वी भाग
3. विश्व के भूमध्य सागरीय जलवायु वाले क्षेत्र।