भण्डार तीन प्रकार के होते हैं जो अग्रलिखित हैं:
1. उपभोक्ता भंडार: फुटकर व्यापार के अन्तर्गत वृहत् स्तर पर सर्वप्रथम नवाचार लाने वाले उपभोक्ता सहकारी समुदाय वाले थे।
2. विभागीय भंडार: विभागीय भंडार वे होते हैं जो वस्तुओं की खरीद एवं भंडारों के विभिन्न अनुभागों में बिक्री के सर्वेक्षण के लिए विभागीय प्रमुखों को उत्तरदायित्व व प्राधिकार सौंप देते हैं।
3. श्रृंखला भंडार: श्रृंखला भंडार वे होते हैं जो अत्यधिक मितव्ययता से व्यापारिक माल का क्रय करते हैं, यहाँ तक कि अपने निर्देश पर सीधे ही वस्तुओं का विनिर्माण करा लेते हैं। प्रायः उनके पास एक भण्डार के अनुभवों के परिणामों को अनेक भंडारों में लागू करने की योग्यता होती है।