भारत के प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग के एकीकृत बंगाल की खाड़ी कारखाने जमशेदपुर, भद्रावती, राउरकेला, भिलाई, दुर्गापुर तथा बोकारो नामक स्थानों पर संचालित हैं। दिए गये मानचित्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि भारत के अकांश लौह-इस्पात के एकीकृत कारखाने देश के उत्तरी-पूर्वी भाग में छोटा नागपुर पठार व इसके समीपवर्ती क्षेत्रों में अवस्थित हैं।
भारत लौह: इस्पात के प्रमुख संयन्त्रों की अवस्थिति भारत में लौह-इस्पात उद्योग एवं वृहत् स्तरीय एकीकृत कारखानों में निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं:
1. टाटा लौह-इस्पात कम्पनी (TISCO): झारखण्ड राज्य के जमशेदपुर नामक स्थान पर संचालित यह इस्पात संयन्त्र मुम्बई-कोलकाता रेलमार्ग के समीप अवस्थित है। इस संयन्त्र के लिए लौह अयस्क नोआमण्डी और बादामपहाड़ से, कोयला उड़ीसा राज्य की जोड़ा खानों से, कोककारी कोयला झरिया व पश्चिमी बोकारो से तथा जल सुवर्णरेखा एवं खारकोई नदियों से प्राप्त किया जाता है। इस संयन्त्र में उत्पादित इस्पात का निर्यात लगभग 240 किमी. दूर कोलकाता पत्तन से किया जाता है।

2. भारतीय लौह और इस्पात कम्पनी (IISCO) भारतीय: भारतीय लोहा और इस्पात कंपनी लौह और इस्पात कम्पनी (इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कम्पनी) द्वारा लौह-इस्पात के संयन्त्र, आसनसोल (पश्चिम बंगाल राज्य) के समीप हीरापुर, कुल्टी तथा बर्नपुर नामक स्थानों पर स्थापित किए गये हैं।
उक्त तीनों इस्पात संयन्त्र कोलकाता: आसनसोल रेलमार्ग पर इस्पात संयंत्र दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों (रानीगंज, झरिया तथा रामगढ़) के चूना पत्थर समीप अवस्थित हैं। इन संयन्त्रों को लौह - अयस्क सिंहभूम गुआ (झारखण्ड) से आता है, जबकि जल की आपूर्ति दामोदर नदी की चित्र-भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी के कारखानों की अवस्थिति सहायक नदी बराक से की जाती है।

3. विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील वर्क्स (VISW) लौह - इस्पात का यह संयन्त्र कर्नाटक राज्य के भद्रावती नामक स्थान पर बाबाबूदन पहाड़ियों के लौह-अयस्क क्षेत्रों के समीप संचालित है। इस संयन्त्र को लौह-अयस्क के साथ-साथ चूना पत्थर व मैंगनीज की उपलब्धता भी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध है। जल की आपूर्ति भद्रावती नदी से की जाती है। इस संयन्त्र में विशिष्ट इस्पात एवं एलॉय उत्पादन किया जाता है।

4. राउरकेला इस्पात संयन्त्र: उड़ीसा राज्य के सुन्दरगढ़ जिले में इस संयन्त्र की स्थापना कच्चे माल की निकटता के आधार पर की गई थी। इस संयन्त्र को कोयला समीपवर्ती झरिया क्षेत्र से तथा लौह अयस्क सुन्दरगढ़ व केंदुझर क्षेत्र से प्राप्त हो जाता है, जबकि विद्युत भट्टियों के लिए विद्युत शक्ति हीराकुंड जल विद्युत परियोजना से उपलब्ध हो जाती है।

5. भिलाई इस्पात संयन्त्र: इस इस्पात संयन्त्र की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले में रूस के सहयोग से की गई थी। इस संयन्त्र को लौह-अयस्क समीपवर्ती क्षेत्र में स्थित डल्ली राजहरा खानों से तथा कोयला कोरबा व करगाली खदानों से प्राप्त हो जाता है। इस संयन्त्र को विद्युत की आपूर्ति कोरबा तापीय शक्तिगृह से तथा जल की आपूर्ति तंदुला बाँध से की जाती है। यह संयन्त्र कोलकाता-मुम्बई रेलमार्ग पर स्थित है। इस संयन्त्र में उत्पादित इस्पात का अधिकांश भाग विशाखापट्टनम बन्दरगाह से निर्यात कर दिया जाता है।

6. दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र: ब्रिटेन सरकार के सहयोग से पश्चिम बंगाल राज्य के दुर्गापुर नामक स्थान पर संचालित यह संयन्त्र रानीगंज व झरिया कोयला पेटी में आता है। इस संयन्त्र को लौह अयस्क रेलमार्ग द्वारा नोआमंडी क्षेत्र से प्राप्त होता है। कोलकाता-दिल्ली रेलमार्ग पर स्थित इस संयन्त्र को जल विद्युत शक्ति दामोदर घाटी कारपोरेशन से प्राप्त होती है।

7. बोकारो इस्पात संयन्त्र: रूस के सहयोग से झारखण्ड के बोकारो नामक स्थान पर इस इस्पात संयन्त्र की स्थापना न्यूनतम परिवहन लागत सिद्धान्त के आधार की गई है। जिसके अनुसार बोकारो तथा राउरकेला संयुक्त रूप से राउरकेला क्षेत्र से लौह अयस्क प्राप्त करते हैं तथा वापसी में मालगाड़ी के डिब्बे राउरकेला के लिए कोयला ले जाते हैं। इस संयन्त्र को जल तथा जल विद्युत की आपूर्ति दामोदर घाटी कारपोरेशन से की जाती है।
