बाजार
पेस बाजार का एक सजीव विवरण देता है
आगे जाने पर एक चौड़ी और सुन्दर गली पाते हैं इस गली में कई व्यापारी रहते हैं और वहाँ आप सभी प्रकार के माणिक्य, हीरे, पन्ने, मोती, छोटे मोती, वस्त्र और पृथ्वी पर होने वाली हर वस्तु जिसे आप खरीदना चाहेंगे, पाएँगे। फिर हर शाम को आप एक मेला देख सकते हैं जहाँ से कई सामान्य घोड़े तथा टट्ट और कई तुरंज और नींबू और संतरे और अंगूर और उद्यान में उगने वाली हर प्रकार की वस्तुएँ और लकड़ी मिलती हैं-इस गली में आप हर वस्तु पा सकते हैं।
और सामान्य रूप से वह शहर का वर्णन "विश्व के सबसे अच्छे संभरण वाले शहर" के रूप में करता है जहाँ बाजार "चावल, गेहूँ, अनाज, भारतीय मकई और कुछ मात्रा में जौ तथा सेम, मूंग, दालें, काला चना जैसे खाद्य पदार्थों से भरे रहते थे" जो सभी सस्ते दामों पर तथा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहते थे। फर्नाओ नूनिज के अनुसार विजयनगर के बाजार "प्रचुर मात्रा में फलों, अंगूरों और सन्तरों, नींबू, अनार, कटहल तथा आम से भरे रहते थे और सभी बहुत सस्ते।" बाजारों में माँस भी बड़ी मात्रा में बिकता था। नूनिज उल्लेख करता है कि "भेड़-बकरी का मांस, सुअर, मृगमांस, तीतर-मांस, खरगोश, कबूतर, बटेर और सभी प्रकार के पक्षी, चिड़ियाँ, चूहे तथा बिल्लियाँ और छिपकलियाँ" बिसनग (विजयनगर) के बाजारों में बिकती थीं।
पेस विजयनगर के बाजार का सजीव विवरण देकर विजयनगर की समृद्धि के विषय में क्या संकेत करता है ?