मुगलों के प्रान्तीय प्रशासन में केन्द्र की भाँति मंत्रियों के अनुरूप अधीनस्थ; जिन्हें दीवान, बख्शी और सद्र कहा जाता था, होते थे। सूबेदार जिसे प्रान्तीय गवर्नर कहा जा सकता है प्रान्त का प्रमुख होता था और बादशाह को सीधा प्रतिवेदन प्रस्तुत करता था। प्रान्त को कई सरकारों में बाँटा जाता था। विशाल घुड़सवार सेना और तोपचियों के साथ नियुक्त फौजदार प्रमुख अधिकारी के रूप में सरकारों का प्रतिनिधित्व करता था। सरकार का विभाजन परगनों में होता था, परगना (उप-जिला) की देखरेख; कानूनगो, चौधरी और काजी के द्वारा की जाती थी। तकनीकी रूप से दक्ष लेखाकार, लेखा-परीक्षक, सन्देशवाहक व अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति प्रत्येक विभाग में की जाती थी। फारसी शासन की प्रमुख भाषा थी लेकिन गाँवों के विवरणों के लेखा हेतु स्थानीय भाषाओं का भी प्रयोग किया जाता था। प्रान्तों में मुगल साम्राज्य के प्रतिनिधियों और स्थानीय जमींदारों के बीच संघर्ष के उदाहरण भी प्राप्त होते हैं जिनमें जमींदारों को किसानों का समर्थन प्राप्त होता था।