जमींदारों की भू-सम्पदाओं की नीलामी व्यवस्था के निम्नलिखित दोष थे.
1. भू-सम्पदाओं की नीलामी में बोली लगाने के लिए अनेक खरीददार होते थे और सम्पदाएँ सबसे ऊँची बोली लगाने वाले को बेच दी जाती थीं। बोली लगाने वालों की हैसियत की कोई जाँच-पड़ताल नहीं की जाती थी।
2. भू-सम्पदाओं की नीलामी के अनेक खरीददार लोग, जींदार के ही नौकर या एजेंट होते थे जो जमींदार की ओर से ही जमीनों को खरीदते थे।
3. भू-सम्पदाओं की नीलामी में 95 प्रतिशत से अधिक बिक्री फर्जी होती थी।
4. वैसे जमींदारी की जमीनें खुले तौर पर बेच दी जाती थीं पर उनकी जमींदारी का नियन्त्रण उन्हीं के हाथों में रहता था।