चंपारन, अहमदाबाद एवं खेड़ा में की गई पहल ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा। गाँधीजी की गरीबों के प्रति गहरी सहानुभूति थी। वर्ष 1917 ई. का अधिकांश समय महात्मा गाँधी को बिहार के चंपारन जिले में किसानों के लिए महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आन्दोलन (सविनय अवज्ञा और उससे आगे) 441 काश्तकारी की सुरक्षा के साथ-साथ अपनी पसन्द की फसल उपजाने की स्वतंत्रता दिलाने में बीता। गाँधीजी ने भारत में सत्याग्रह का पहला प्रयोग 1917 ई. में चम्पारन में ही किया था। वर्ष 1918 ई. में गाँधीजी गुजरात के अपने गृह राज्य में दो अभियानों में व्यस्त रहे। सर्वप्रथम उन्होंने अहमदाबाद के एक श्रम विवाद में हस्तक्षेप करके कपड़ा मिलों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए काम करने की बेहतर स्थितियों की माँग की। इसके पश्चात् उन्होंने खेड़ा में फसल चौपट होने पर राज्य में किसानों का लगान माफ करने की माँग की। इस प्रकार कहा जा सकता है कि इन आन्दोलनों ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा।