प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) के दौरान अंग्रेजी सरकार ने प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा दिया था तथा बिना किसी जाँच के कारावास की अनुमति दे दी थी। सन् 1919 ई. में सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। गाँधीजी ने इस काले कानून (रॉलेट एक्ट) के विरुद्ध एक देशव्यापी अभियान चलाया। उत्तरी व पश्चिमी भारत में इस कानून के विरोध में दुकानें व विद्यालय बन्द रहे। पंजाब में इस कानून का विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ। पंजाब जाते समय अंग्रेजी सरकार ने गाँधीजी के साथ-साथ स्थानीय नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया। 13 अप्रैल, 1919 को रॉलेट एक्ट के विरोध में पंजाब के अमृतसर शहर के जलियाँवाला बाग में हो रही लोगों की शान्तिपूर्ण सभा पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवायीं, जिसमें 400 से अधिक लोग मारे गये तथा अनेक लोग घायल हुए। रॉलेट एक्ट के विरुद्ध गाँधीजी ने सत्याग्रह शुरू किया तथा अंग्रेजी शासन के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय किया। इस प्रकार भारतीय जनता ने रॉलेट एक्ट के विरुद्ध रोष भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की।