पादप के जीवन चक्र में दो सुस्पष्ट अवस्थाएँ द्विगुणित बीजाणु-उद्भिद् तथा अगुणित युग्मोद्भिद् होती हैं। इन दोनों में पीढी एकान्तरण होता है। विभिन्न प्रकार के पादप वर्गों में अगणित तथा द्विगुणित प्रावस्थाओं की लम्बाई विभिन्न होती है। युग्मनज (2n) में मिऑसिस विभाजन के द्वारा अगुणित (n) बीजाणु बनते हैं। ये बीजाणु अकुंरित होकर युग्मोद्भिद् बनाते हैं । युग्मक (नर एवं मादा) युग्मोद्भिद् पर बनते हैं जो संलयन होकर पुनः द्विगुणित युग्मनज बनाते हैं। युग्मनज से बीजाणु-उद्भिद् विकसित होता है। इस प्रक्रम को संतति एकांतरण कहते हैं।
उदाहरण : यूलोथ्रिक्स एवं एल्बूगो।