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खनिज आयनों के उद्ग्रहण तथा स्थानान्तरण पौधों में किस प्रकार होता है? स्पष्ट कीजिए।

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पौधे अपनी कार्बन एवं अधिकतर ऑक्सीजन की आवश्यक मात्रा वातावरण में उपलब्ध CO2 से प्राप्त करते हैं। यद्यपि उनकी शेष पोषण की आवश्यकता हाइड्रोजन के लिए मृदा से प्राप्त खनिजों तथा जल से पूरी होती है।

खनिज आयनों का उद्ग्रहण (Intake of Mineral lons): जल की जैसे सभी खनिज तत्व जड़ों द्वारा निष्क्रियता विधि द्वारा अवशोषित नहीं किये जा सकते। इसके लिए दो कारक जिम्मेदार होते हैं:

(i) मृदा में खनिजों का आवेशित (charged) रूप में रहना है जो कि कोशिका भित्ति को पार नहीं कर सकते हैं।

(ii) मृदा में खनिजों को सांद्रता प्राय: जड़ों के अन्दर को सांगता से कम होती है। इसलिए अधिकतर खनिज जड़ों में बाहा त्वचा की कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में सक्रिय अवशोषण के द्वारा प्रवेश करते हैं। इसमें ATP के रूप में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

आबन का सक्रिय उद्ग्रहण मूल में जल विभव प्रवणता के लिए अंशत: जिम्मेदार होता है, अतः परासरण द्वारा जल के प्रवेश के लिए भी कुछ आयन बाहा त्वचा कोशिका में निष्क्रिय रूप से संचालन करते हैं।

मूल रोम कोशिका की झिल्ली में पाए जाने वाले विशिष्ट प्रोटीन, आयन को मृदा से सक्रिय पम्प द्वारा बाह्य त्वचा की कोशिकाओं के कोशिका दृव्य में भेजती है। सभी कोशिकाओं की जैसे अंतस्त्वचा में भी कोशिका की झिल्ली में कई परिवहन प्रोटीन पाए जाते हैं। वे कुछ विलेय को झिल्ली के आर-पार आने-जाने देते हैं परन्तु अन्य को नहीं। अन्तस्त्वचा की कोशिकाओं के परिवहन प्रोटीन नियन्त्रण बिन्दु होते हैं, जहाँ पौधे विलेय की मात्रा एवं प्रकार को जाइलम में पहुंचाते हैं तथा समायोजित करते हैं। मूल अंतस्त्वचा में सुबेरिन की पट्टी होने के कारण सक्रिय परिवहन एक ही दिशा में होता है।

खनिज आयनों का स्थानान्तरण (Translocation of Mineral Ions) जब आयन सक्रिय या निष्क्रिय उद्ग्रहण से या फिर दोनों की सम्मिलित प्रक्रिया के माध्यम से जाइलम में पहुंच जाते हैं, तब उनका परिवहन पादप तने एवं सभी भागों तक वाष्पोत्सर्जन प्रवाह के माध्यम से होता है।

खनिज तत्वों के लिए मुख्य कुंड पौधों की वृद्धि का क्षेत्र होता है जैसे शिखान एवं पार्श्व विभज्योतक, तरुण पत्तियाँ, विकासशील पुष्य, फल एवं बीज तथा भंडारण अंग । खनिज आयनों का विसर्जन बारीक शिराओं के अन्तिम छोर पर कोशिकाओं के द्वारा विसरण तथा सक्रिय उद्ग्रहण द्वारा होता है।

खनिज आयनों को जल्दी ही पुनः संघटित विशेष रूप से पुराने जरावस्था वाले भाग से किया जाता है। पुरानी तथा मरती हुई पत्तियाँ अपने भीतर के खनिजों को नई पत्तियों में निर्यातित कर देती हैं। ठीक इसी प्रकार से पत्तियाँ पर्णपाती वृक्ष से झड़ने के पहले अपने खनिज तत्वों को अन्य भागों को दे देती हैं। जो पदार्थ प्राय: त्वरित संचारित या संघटित होते हैं, वे फॉस्फोरस, सल्फर, नाइट्रोजन तथा पोटैशियम होते हैं।

कछ तत्व जो कि संरचनात्मक कारक होते हैं, जैसे कैल्सियम, इन्हें पुनः संघटित नहीं किया जाता है। जाइलम साव का विश्लेषण यह बताता है कि कुछ नाइट्रोजन अकार्बनिक आयनों के रूप में तथा इसका अत्यधिक भाग कार्बनिक अमीनो अम्ल तथा सम्बन्धित कारकों के रूप में ढोए जाते हैं। इसी प्रकार फॉस्फोरस एवं सल्फर भी कार्बनिक यौगिकों के रूप में पहुँचाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त जाइलम एवं फ्लोयम के बीच भी पदार्थों का आदान-प्रदान होता है। अतः स्पष्ट रूप से यह अन्तर नहीं कर पाते कि जाइलम केवल अकार्बनिक पोषकों का परिवहन करता है तथा फ्लोयम कार्बनिक पदार्थों का, जैसा कि पहले विश्वास किया जाता था।

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