ऐलुमिना के वैद्युत-अपघटन से प्राप्त ऐलुमिनियम धातु में अनेक अशुद्धियाँ होती हैं, जिनको हूप विधि (Hoopes process) से शुद्ध किया जाता है। यह एक वैद्युत-अपघटनी विधि है। ऐनोड के रूप में कार्य करने वाले कार्बन अस्तर लगे एक लोहे के पात्र में सबसे नीचे ताँबा तथा सिलिकन युक्त अशुद्ध ऐलुमिनियम की मिश्रित धातु लगी होती है, जो चालक को कार्य करती है। इसके ऊपर अशुद्ध ऐलुमिनियम धातु का गलित रखा जाता है। इसके ऊपर Na, Ba तथा Al के फ्लुओराइडों के मिश्रण तथा Al2O3 का गलित रखा जाता है, जो वैद्युत-अपघट्य का कार्य करता है। सबसे ऊपर पिघले हुए शुद्ध ऐलुमिनियम की एक पर्त होती है, जो कैथोड का कार्य करती है, जिसमें चालक का कार्य करने हेतु एक ग्रेफाइट की छड़ लगी होती है।
वैद्युत धारा प्रवाहित करने पर अशुद्ध ऐलुमिनियम से शुद्ध ऐलुमिनियम ऊपर की सतह पर आ जाता है और इतनी ही मात्रा में अशुद्ध ऐलुमिनियम को पात्र में लगे कीप से डाल दिया जाता है। इस प्रकार शुद्ध ऐलुमिनियम नीचे की पर्त (ऐनोड) से ऊपर की पर्त (कैथोड) पर आ जाता है और अशुद्धियाँ नीचे बैठ जाती हैं। शुद्ध ऐलुमिनियम को ऊपरी पर्त में बने छिद्र से अलग करके चादरों, छड़ों आदि के रूप में बदल दिया जाता है।
