1. आयनन समावयवता – जब सहसंयोजक यौगिकों के अणुसूत्र समान होते हैं परन्तु वह भिन्न आयनन व्यवहार प्रदर्शित करते हैं तथा विलयन में भिन्न आयन प्रदान करते हैं तो इसे आयनन समावयवता कहते हैं। आयनन समावयवता, उपसहसंयोजन तथा आयनन मण्डल के मध्य समूहों के विनिमय के कारण होती है।
उदाहरणार्थ– Co(NH3)5 (Br)(SO4) सूत्र वाले दो भिन्न यौगिक इस प्रकार हैं-

2. हाइड्रेट समावयवता – जल के अणु लिगण्ड की भाँति तथा क्रिस्टलीकरण जल दोनों की भाँति व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं। जब दो योगिक इस प्रकार की भिन्नता प्रदर्शित करते हैं तो उन्हें हाइड्रेट समावयवी कहते हैं तथा इस घटना को हाइड्रेट समावयवता कहते हैं। उदाहरणार्थ– CrCl3 . 6H2O सूत्र के निम्नलिखित तीन हाइड्रेट समावयवी ज्ञात हैं –
• [Cr(H2O)]Cl3 हेक्साऐक्वाक्रोमियम (III) क्लोराइड (बैंगनी)
• [Cr(H2O)5Cl]Cl2 . H2O पेन्टाऐक्वाक्लोरिडोक्रोमियम (III) क्लोराइड मोनोहाइड्रेट (नीला-हरा)
• [Cr(H2O)4Cl2]Cl . 2H2O टेट्राऐक्वाडाइक्लोरिडोक्रोमियम (III) क्लोराइड डाइहाइड्रेट (गाढ़ा-हरा)