ये वे आण्विक अथवा योगात्मक यौगिक हैं जो कि ठोस अवस्था में रहते हैं परन्तु जल में घोलने पर ये अपने घटक आयनों में वियोजित हो जाते हैं। इस प्रकार घटक विलयन में अपनी पहचान खो देते हैं।
उदाहरणार्थ –
1. पोटाश एलम (Potash alum), K2SO4 . Al2(SO4)3 . 24H2O द्विक-लवण है। इसे पोटैशियम सल्फेट तथा ऐलुमिनियम सल्फेट के संतृप्त विलयनों को मिलाकर तथा तत्पश्चात् मिश्रण का वाष्पीकरण करके प्राप्त किया जाता है।
K2SO4 + Al2(SO4)3 + 24H2O → K2SO4 . Al2(SO4)3 . 24H2O
जब पोटाश एलम को जल में घोला जाता है तो यह पहचान खोकर अपने आयनों में वियोजित हो जाता है।
K2SO4 . Al2(SO4) . 24H2O → 2K+ + 2Al3+ + 4SO2-4 + 24H2O
पोटाश एलम का जलीय विलयन K+, Al3+ तथा SO2-4 आयनों का परीक्षण देता है। अतः यह द्विक लवण है।
2. मोहर लवण (Mohr’s salt) FeSO4 . (NH4)2 SO4 . 6H2O भी एक द्विक-लवण है तथा इसे फेरस सल्फेट तथा अमोनियम सल्फेट के संतृप्त विलयनों को मिश्रित करके तथा मिश्रण को ठण्डा करके प्राप्त किया जाता है।
FeSO4 + (NH4)2 SO4 . 6H2O → FeSO4 . (NH4)2 SO4 . 6H2O
जब मोहर लवण को जल में घोला जाता है तो वह अपने आयनों में निम्न प्रकार वियोजित होता है ” तथा उसकी पहचान समाप्त हो जाती है – FeSO4 . (NH4)2 SO4 . 6H2O → Fe2+ + 2NH+4 + 2SO2-4 + 6H2O
इसका जलीय विलयन Fe2+, NH+4 तथा SO2-4 आयनों का परीक्षण देता है। अत: मोहर लवण एक द्विक-लवण है।