संस्कृति मनुष्य का सदा कल्याण करती है। जब संस्कृति से कल्याण की भावना समाप्त होती है तो वह असंस्कृति बन जाती है। संस्कृति मनुष्य को सभ्य बनाती है परंतु इस असंस्कृति का परिणाम यह होगा कि सर्वत्र असभ्यता का बोलबाला होगा जिससे मनुष्यता के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।