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मनुष्य में यौन सम्बन्धी उत्पन्न रोगों के लक्षण बताइए।

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मनुष्य में यौन सम्बन्धी उत्पन्न रोग 

इन्हें लैंगिक संचारित रोग (sexual transmitted disease, STD) कहते हैं। ये लैंगिक संसर्ग से या प्रजनन मार्ग से संचारित होते हैं। ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –

1. क्लेमायइिओसिस (Chlamydiosis) – यह सर्वाधिक रूप में पाया जाने वाला जीवाणु जनित STD है। यह रोग क्लेमायडिआ ट्रेकोमेटिस (Chlamydia trachomatis) नामक जीवाणु से होता है। संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध बनाने से इस रोग का संचारण होता है। इसका उद्भवन काल (incubation period) एक सप्ताह का होता है।

लक्षण (Symptoms) – इस रोग में पुरुष के शिश्न से गाढ़े मवाद जैसा स्राव होता है तथा मूत्र-त्याग में अत्यन्त पीड़ा होती है। स्त्रियों में इस रोग के कारण गर्भाशय-ग्रीवा, गर्भाशय व मूत्र नलिकाओं में प्रदाह (inflammation) होता है। उपचार न होने पर यह श्रोणि प्रदाह रोग (pelvic inflammatory disease) में परिवर्तित होकर बन्ध्यता का कारण बनता है। 

2. सुजाक (Gonorrhoea) – यह (ग्रामऋणी) जीवाणुवीय STD है जो डिप्लोकॉकस जीवाणु, नाइसेरिया गोनोरिया (Neisseria gonorrhoeae) द्वारा होता है। संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध बनाने से यह रोग फैलता है। इसका उद्भवन काल 2 से 10 दिन होता है।

लक्षण (Symptoms) – इस रोग का प्रमुख लक्षण यूरोजेनीटल (urogenital) पथ की श्लेष्मा कला में अत्यधिक जलन होना है। रोगी को मूत्र-त्याग के समय जलन महसूस होती है। सुजाक के लक्षण पुरुष में अधिक प्रभावी होते हैं। सुजाक से अन्य विकार; जैसे–प्रमेय जन्य सन्धिवाह (gonorrheal arthritis), पौरुष ग्रंथ प्रवाह (prostatitis), मूत्राशय प्रवाह (cystitis) व स्त्रियों में जरायु प्रदाह (meritis), डिम्ब प्रणाली प्रदाह (sapingititis), बन्ध्यता आदि हो जाते हैं। 

3. एड्स (AIDS) – विषाणुओं से चार प्रमुख STDs होते हैं एड्स अर्थात् उपार्जित प्रतिरोध क्षमता अभाव सिन्ड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) एक विषाणु जनित रोग है। जो भयंकर रूप से फैल रहा है। एड्स रीट्रोवाइरस या HIV अथवा लिम्फोट्रापिक विषाणु टाइप III या HTLV III आदि नामक विषाणु से होता है। इस रोग का उद्भवन काल 9-30 माह है। रक्त आधान से सम्बन्धित व्यक्तियों में यह काल 4-14 माह होता है।

लक्षण (Symptoms) – निरन्तर ज्वर, पेशियों में दर्द, रातों को पसीना आना तथा लसीका ग्रंथियों का चिरस्थायी विवर्धन, लिंग अथवा योनि से रिसाव, जननांगीय क्षेत्र में अल्सर या जाँघों में सूजन आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

4. जेनीटल हर्षीज Genital Herpes) – यह रोग टाइप-2 हपज सिम्पलेक्स विषाणु (type-2 herpes simplex virus) से उत्पन्न होता है। परगामी व्यक्ति से सम्भोग करने पर यह रोग फैलता है। लक्षण (Symptoms) – इस रोग के प्राथमिक 

लक्षण जननांगों पर छाले पड़ना व दर्द होना, ज्वर, मूत्र-त्याग में पीड़ा, लसीका ग्रन्थियों की सूजन आदि हैं। छालों के फूटने से संक्रमण तेजी से फैलता है।

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