एकल कोशिका प्रोटीन
सूक्ष्मजीवों को मनुष्य तथा पशुओं के पोषण में प्रोटीन के स्रोत के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है, जैसे- यीस्ट, स्पाइरुलीना आदि।
एकल कोशिका प्रोटीन द्वारा आवश्यक सभी अमीनो अम्ल शरीर को प्राप्त होते हैं। उच्चवर्गीय पौधों के स्थान पर जीवाणु तथा यीस्ट बेहतर प्रोटीन स्रोत हैं, क्योंकि खाद्य के रूप में प्रयुक्त किए जाने वाले उच्च वर्गीय पौधों में लाइसीन अमीनो अम्ल नहीं पाया जाता है। एकल कोशिका प्रोटीन के उत्पादन के लिए कम जगह की आवश्यकता पड़ती है। इसका उत्पादन जलवायु से भी प्रभावित नहीं होता है। शैवाल, जैसे-स्पाइरुलीना, क्लोरेला तथा सिनेडेस्मस का उपयोग एकल कोशिका प्रोटीन के रूप में किया जा रहा है। स्पाइरुलीना को आलू-संसाधन संयन्त्र से निर्मुक्त अवशिष्ट जल जिसमें स्टार्च की। मात्रा उपस्थित रहती है, में आसानी से उगाया जा सकता है।
यहाँ तक कि इसे भूसा, शीरा, पशु खाद तथा मेल-जल में भी उगाया जा सकता है। स्पाईरुलीना में प्रोटीन के अतिरिक्त खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। प्रदूषित जल में आसानी से उगाए जाने के कारण स्पाइरुलीना का उपयोग पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम करने के लिए किया जाता है। शैवालों के अतिरिक्त कवक, जैसे-यीस्ट (सेकेरोमाइसीज), टॉरुलाप्सिस तथा कैंडिडा का उपयोग भी एकल कोशिका प्रोटीन के रूप में किया जा रहा है। फ्यूजेरियम एवं मशरूम के कवकतन्तु को एकल कोशिका प्रोटीन के रूप में उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
गणना की गई है कि 0.5 टन सोयाबीन से 40 किलोग्राम प्रोटीन प्रति 24 घंटे में प्राप्त हो सकती है। इसकी तुलना में 0.5 टन यीस्ट से उसी समय-सीमा में 50 टन प्रोटीन प्राप्त हो सकती है। इसी प्रकार प्रतिदिन 25 किलोग्राम दूध देने वाली गाय 200 ग्राम प्रोटीन पैदा करती है। इसी समय में 250 ग्राम सूक्ष्मजीव; जैसे-मिथायलोफिलस मिथायलोटोपस 25 टन तक प्रोटीन उत्पन्न कर सकते हैं।