गोपियाँ श्री कृष्ण का सामीप्य और उनकी बातों से आनंदित होना चाहती हैं। इसके लिए कोई गोपी कृष्ण की मुरली चुरा लेती है। कृष्ण जब उससे मुरली वापस मागते हैं तो वह सौगंध खाकर मुरली चुराने से मना करती है, परंतु भौहों से हँस देती है। इसका तात्पर्य है कि मुरली उसी के पास है। अब कृष्ण उससे पुनः मुरली माँगते हैं तो वह देने से मना करती है। ताकि वह कृष्ण की बातों से आनंदित होती रहे।