हरिहर काका का दिल जीतने के लिए महंत जी ने स्वादिष्ट भोजन खिलाने और धर्म-चर्चा करने जैसे उपाय अपनाए। उन्होंने रात में हरिहर काका को भोग लगाने के लिए जो मिष्टान्न और व्यंजन दिए, वैसे उन्होंने कभी नहीं खाए थे। घी टपकते मालपुए, रस बुनिया, लड्डू, छेने की तरकारी, दही, खीर…। इन्हें पुजारी जी ने स्वयं अपने हाथों से खाना परोसा था। पास में बैठे महंत जी धर्म-चर्चा से मन में शांति पहुँचा रहे थे।