हरिहर काका के भाई उन्हें ठाकुरबारी से छुड़ा पाने में असफल रहे तो वे यह सोचकर पुलिस के पास गए कि जब वे पुलिस के साथ ठाकुरबारी पहुँचेंगे तो ठाकुरबारी के भीतर से हमले होंगे और साधु-संत रँगे हाथों पकड़ लिए जाएँगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ठाकुरबारी के अंदर से एक रोड़ा भी बाहर नहीं आया। शायद पुलिस को आते हुए उन्होंने देख लिया था।