ठाकुरबारी के महंत हरिहर काका को बलपूर्वक अपने साथ न ले जा सकें, इसे रोकने और उनकी सुरक्षा के लिए उनके भाइयों द्वारा अपने रिश्ते-नाते में जितने ‘सूरमा’ थे, सबको बुला लिया गया था। हथियार जुटा लिए गए थे। चौबीसों घंटे पहरे दिए जाने लगे थे। अगर किसी आवश्यक कार्यवश काका घर से गाँव में निकलते तो चार-पाँच की संख्या में हथियारों से लैस लोग उनके आगे-पीछे चलते रहते और रात में आधे लोग सोते तो आधे लोग जागकर पहरा देते रहते।