महंत द्वारा पुनः काका का अपहरण करके जमीन-जायदाद ठाकुरबारी के नाम कर देने के भय से मुक्ति पाने के लिए हरिहर काका के परिवार वाले बार-बार उनसे जमीन-जायदाद परिवार वालों के नाम लिखने के लिए कहते इस बात पर हरिहर काका साफ़ नकार जाते। वे कहते, “मेरे बाद तो मेरी जायदाद इस परिवार को स्वतः मिल जाएगी इसीलिए लिखने का कोई अर्थ नहीं। महंत ने अँगूठे के जो जबरन निशान लिए हैं, उसके खिलाफ़ मुकदमा हमने किया ही है।”