इफ्फ़न की दादी पीहर इसलिए जाना चाहती थीं क्योकि वे जमींदार परिवार की बेटी थीं। उनके पीहर में घी, दूध व दही की भरमार थी। उन्होंने शादी से पहले पीहर में खूब दूध-दही खाया था। बाद में वे लखनऊ के मौलवी से ब्याही गई थीं जहाँ उन्हें अपनी मौलवी पति के नियंत्रण में रहना पड़ता था। पीहर जाने पर वे स्वतंत्र अनुभव करती थीं, और लपड़-शपड़ जी भर कर दूध-दही खाती थीं। इसी कारण उनका मन हर समय पीहर जाने को तरसता था।