टोपी के पिता और घर के अन्य सदस्यों को बिलकुल भी यह पसंद नहीं था कि टोपी किसी मुसलमान के लड़के से दोस्ती करे या उसके घर आए-जाए पर टोपी को जाति-धर्म से क्या लेना-देना था। टोपी के पिता ने जैसे ही जाना कि इफ्फ़न के पिता कलेक्टर हैं तो उन्होंने अपने क्रोध को दबाया और तीसरे दिन ही दुकान के लिए कपड़े और चीनी का परमिट ले आए।